Friday, 31 August 2012

ई-परिकल्‍पना: प्रशाशन और पब्लिक

ई-परिकल्‍पना: प्रशाशन और पब्लिक: क्‍या आपने एक पुलिस वाले की जिन्‍दगी के बारे में सोचा है क्‍या आपने कभी किसी ने सोचा है कि वह किन तकलीफो में हमारी सुरक्षा करता है पर हमार...

प्रशाशन और पब्लिक

क्‍या आपने एक पुलिस वाले की जिन्‍दगी के बारे में सोचा है क्‍या आपने कभी किसी ने सोचा है कि वह किन तकलीफो में हमारी सुरक्षा करता है पर हमारे जहन में तो पुलिस वालो की केवल पैसे खाने वालो की छवि बनी हुई है। क्‍या आपने कभी  पुलिस वाले को खुद पैसे मांगते देखा है नही उसको पैसे की पेशकश पहले हम और आप करते है। क्‍योकि कानून हमने तोडा है और हम उसकी सजा भुगतने को तैयार नही है इसलिए हम उसे पैसे की पेशकश करते है। वह हमारा चालान काटना चाहता है परन्‍तु हम और आप कहते है सर देख् लिजिए कुछ हो सकता है तो हम में से र्इमानदारी से बताएं कितने लो् ग ये कहते है कि मैने कानून तोडा है और मै सजा भुगतने के लिए तैयार  हॅू।  मैने तो अपनी जिन्‍दगी में ऐसा नही देखा है आपने देखा हो पता नही 

आज अगर एक पुलिस वाला आपको लाईट क्रास करते हुए पकड लेता है तो आप एकदम कहते है मूझे जानते नही हो क्‍या या मै फलाने का आदमी हॅु या मैं प्रैस से हॅु वैगरह वैगरह। अरे भार्इ वो तो अपनी डयुटी कर रहा है और आप क्‍या कर रहे है । अगर दुर्घटना हो जाए तो पुलिस वाले का कसूर क्‍यो भई जब वह हमें वगैर हैलमेट के गाडी चलाने से रोक रहा था तब तो नेता जी का नाम लेकर उससे छुट गए और जब किसी बडे वाहन ने कुचल दिया तो पुलिस वाले का कसूर । हर तीज त्‍यौहार में जब लोग अपने घरो में खुश्यिा मना रहे होते है तब वह चौंक पर हमारी सुरक्षा कर रहा होता है । क्‍यों उसका परिवार नही है क्‍या फिर भी हम नही समझतें। 

आज पुलिस का राजनैतिकरण हो गया है जिस प्रकार नेता पुलिस के काम में हस्‍तक्षेप कर रहे है वह दिन दूर नही आसाम जैसे दंगे पूरे देश में होगें। क्‍योकि जब तक आम आदमी के दिल में प्रशाशन के प्रति डर नही होगा तब तक वह कभी कानून की इज्‍जत नही करेगा।

हमारे देश में कितने लोग इमानदारी से अपनी नैतिक जिम्‍मेवारी निभाते है शायद एक प्रतिशत भी नही होगें। फिर कहते है देश नही बदलता अरे बदलेगा कैसे  जब हम लोग ही नही बदलना चाहते । 

Tuesday, 28 August 2012

अखबारो की सुर्ख्‍िाया बटोरी ब्‍लोगरो ने


रविन्‍द्र पुंज



मेरे परम मित्र रविन्‍द्र पुंज व दर्शन लाल बवेजा को ब्‍लागर मीट मे पुरस्‍कार मिलने पर हार्दिक शुभकामनाएं

ब्‍लागर मीट लखनउ में

गत 27 अगस्त को मुझे लखनऊ मे  आयोजित ब्लॉगर समेलन मैं भाग लेने का मौका मिला जिसका रविन्‍द्र प्रभात व डा0 जाकिर अली ने आयोजन किया था । ये मेरा पहला ब्लॉगर समेलन था तो मैं काफी उत्साहित था और ये देखने के लिए काफी उत्सुक था की प्रोग्राम को कैसे नियोजित तरीके से किया जायेगा ? हालाकि जाने से पहले मन मैं थोडा संसय जरूर था जो वह जा कर दूर हो गया।  कहने को  लखनऊ बड़े ही तहजीब और तमीज़ का शहर माना जाता है। परन्तु जो वह पर देखने को मिला वो वाकई  दुखदाई था वह़ा  पर ब्लोग्गेर्स मैं तू मुझे खुश कर मैं तुम्हे खुश करने की होड लगी थी. सुबह दस बजे कार्यक्रम शुरू हुआ तो हम भी स्‍टेशन से भागते हुए प्रेक्षा ग्रह पहुचें और जाकर अपनी सीटें ग्रहण कर ली और उसके बाद मुख्‍य अतिथीयो का स्‍वागत किया गया और उसके बाद 3 बजे तक ज्‍यो भाषण प्र तियागिता शुरू हुई वो चलती रही । इस बीच आयोजक ने दुर दराज से आए हुए ब्‍लागर बधुओ को पानी तक नही पुछा। । इससे पता चलता है कि लखनउ वालो को मेहमान नवाजी नही आती।   इनाम बाटने में तो ऐसा लग रहा था जैसे सिर्फ रविन्‍द्र प्रभात जी ने केवल अपने जानकारो व रिश्‍तेदारो को ही र्इनाम देने का मन बना रखा था। एक व्‍य‍ क्ति को दस दस पुरस्‍कार , कई लोगो के बैग के चेन तक बंद नही हो रही थी । और मै सोच रहा था जिस व्‍य‍ क्ति को आठ दस पुरस्‍कार मिले है वह जाकर अपने बच्‍चो को किस तरह सतुष्‍ट करेगा उसके बच्‍चे भी सोचेंगे कि पापा इनाम खरीदकर लाए है ।